Thursday, August 4, 2022

Shia bhaiyon ki mohabbat ahle bait ki bajaye sirf Hazrat Hussain sei kyon.

शीआ भाइयों की मुहब्बत अहल ए बैत की बजाय सिर्फ़ हज़रत हूसैन रजी. से ही क्यूँ है ❓

शीआ सैय्यदना हज़रत अली रजी. की अवलादमें से सिर्फ़ सैय्यदना हुसैन रजी.से ही  मुहब्बत क्यूँ करते हैं ❓
क्या आपने अपने आपसे कभी ये सवाल किया है ❓

क्या  कभी आपको शीआओं की इस हरकत पर ताज्जुब हुआ ❓

इस मुआमलेमें हम आपके सामने ऐसी मालुमात  रख रहें हैं के आप दंग रह जाएँगे, इस्लामी दुनियाके लिए ये किसी जटकेसे कम नहीं और अरबके शीआओंके लिए हैरतंगेज़ मालुमात ❗️❗️❗️

सवाल का जवाब देने से पहले सैय्यदना अली रजी. की अवलादके बारेमें जानना ज़रूरी है।
सैय्यदना अली रजी. के बेटोंके नाम:

१.🔴हसन बिन अली बिन अबि तालिब
२.🔴हुसैन बिन अली बिन अबि तालिब 
३.🔴मुहसिंन बिन अली बिन अबि तालिब
४.🔴अब्बास बिन अली बिन अबि तालिब
५.🔴हिलाल बिन अली बिन अबि तालिब
६.🔴अब्दुल्लाह बिन अली बिन अबि तालिब
७.🔴जाफ़र बिन अली बिन अबि तालिब
८.🔴उस्मान बिन अली बिन अबि तालिब 
९.🔴ऊबैदुल्लाह बिन अली बिन अबि तालिब
१०🔴अबूबकर बिन अली बिन अबि तालिब
११🔴उमर बिन अली बिन अबि तालिब 
( १० और ११ नम्बर पर जो नाम है उनको छुपानेके लिए शीआ इनको अली ए अकबर और अली ए असग़र कहते है अगर इनके नाम शीआ लोग ज़ाहिर कर दे तो पूरी शियत  ख़त्म हो जाय)

क्या आपने शीआ की किताबोंमें या हसन, या हिलाल, या मोहसिन लिखा देखा ❓
या फिर  हज़रत अली रजी.  की शहादत पर इन्होंने कभी मातम किया हो जिनके बेटे होनेकि वजहसे हूसैन रजी.का  शुमारअहल ए बैत में होता है ❓
क्या हुसैन रजी. के अलावह बकिया सब अहल ए बैत नहीं ❓

क्यूँ सिर्फ़ या हूसैन ही पुकार कर   पिटा जाता है ❓

और क्यूँ हूसैनसे ही मदद माँगी जाती है ❓

जबकि ये  भी इल्म में है की हसन और हूसैन दोनो भाई हैं इनकी माँ फ़ातिमा ज़ोहरा हैं और इनके वालीद अली बिन अबि तालिब रजी. हैं और सब अहल ए बैत में से है.

क्या ये सवाल आपके दिमाग़ में कभी पैदा  नहीं  हुए ❓
क्या अरब के शीआओंने  इसके बारेमें सोचा की आख़िरकार अहल ए बैतमें से हुसैन ही क्यूं ❓

इस से पहले कि हम इस सवाल का जवाब दें एक चौंकानेवाली मालुमात आपको दे दी जाय❗️❗️❗️

क्या आप जानते हैं शीओंके १२ इमाम सिर्फ़ हुसैनकी ही नसलसे है❗️❗️❗️

और शीआ हज़रत हुसैन रजी.का अहतराम, हज़रत हसन रजी. से और सैय्यादना हज़रत अली रजी.की बकिय्या अवलादसे ज़्यादा करते हैं क्यूँकि हुसैन रजी. की शादी फ़ारसी ईरानी खातूनसे हुई जो ईरानके बादशाह यज़दगरदकी बेटी थी जिसका नाम शहरबानु था, मुसलमानोने किसराको शिकस्त देने के बाद शाह ए किसराको क़त्ल  कर दिया और उसकी शहज़ादियाँ क़ैद कर ली गईं,

उसके बाद खलिफ़तुल मूसलीमिन सैयदना उमर फ़ारूक़ रजी.ने किसराकी शाहजादियोंमें से शहरबानुको  हज़रत हुसैन रजी.के सुपुर्द कर दीया  जिससे उन्होंने निकाह कर लिया और यही ईरानी जज़्बात है जिनकी वजहसे शीआ हुसैन रजी.से और शहरबानुकी अवलाद १२ इमामोंसे दूसरे अरबी अहल ए बैतके मुक़ाबले ज़्यादा मुहब्बत करते है, ईरानी नसल होने की वजह से और  इनका दावा अहल ए बैतसे अरब होने की वजह से मुहब्बत महेज़ धोका और फ़रेब है, वरना अली रजी. और फ़ातिमा रजी. की अवलाद तो और भी है❗️❗️❗️


आपने अबू लूलू फ़िरोज़का नाम सुना होगा ये वो शख़्स है जो फ़ारस/ईरान का रहने वाला था इस लानतीने सैयदना उमर फ़ारूक़ रजी.को दौराने नमाज़ शहीद किया था इसको फ़ारसी/ईरानी बड़ी ताज़िमसे बाबा अबू लूलू फ़िरोज़ कहते है और उसकी मज़ार बना कर उसको मुक़द्दस जान कर उसकी इबादत करते है, शीआ उसके नामका फीरोज़ा अपनी अँगूठियाँमें जड़ा कर पहनते है,

शीआओं के क़ुरानमें एक सुरह है जिसका नाम लूलू है,

और सहीह बात ये है के शीआ अहल ए बैतमें से सिर्फ़ उनसे मुहब्बत करते है जो किसरा/फ़ारस/ईरानकी अवलाद है और उन १२ इमामों से मुहब्बत करते है जिनको ये लोग अम्बिया अलयही सलातू व सलाम  से भी अफ़ज़ल और मासूम समजते है जिनका ख़ून और पसीना ईरानी नसल का है, रसूलुल्लाह ﷺ की निस्बत की वजहसे नहीं❗️❗️❗️

मतलब साफ़ है शीआ सिर्फ़ अहल ए बैत किसरा/फ़ारस/ईरान से मुहब्बत करते है अहल ए बैत ए रसूल ﷺ से हरगिज़ नहीं!

हमारे बरेलवी भाई भी सोचें की मुहर्रम को मनाना हम अहल ए सुन्नत का अमल होता तो सारे अहल ए बैतको याद किया जाता, कहीं ये ख़ालिस शीओंकी नक़ल तो नहीं की सिर्फ़ या हुसैन, या हुसैन , या हुसैन पिटा ज़ाता है और बड़े बड़े शुहदा जिसमें शहीदों के सरदार अमीर ए हमज़ा जो चाचा है हुसैनके और हज़रत अली जो वालीद है  हुसैनके  उनकी शहादत भुला दी जाती है ❗️❗️❗️

(तर्जुमा यूसुफ़ सिद्दिक)

13/10/2016

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