Sunday, August 7, 2022

Jahangir ka daur mein Shia Munazir ka Firaar

*शिया मुनाजी़र का फरार*

जहांगीरकी बीवी नूरजहाँ शिया थी उसने ईरान ख़त लिखा के ईरान के सबसे बड़े मुनाज़ीरको हिंदुस्तान भेज दो ताकि मुनाज़रामें शिया मज़हब की हक्कानियत बयान करे और साथ में ये भी लिखा की वह मुनाज़ीर सीधा आगरा ना आए बल्कि लाहोर से होता हुआ आए जहाँ ऊलेमा नहीं हैं बल्कि सूफ़िया हैं जिनको हराना आसान है और इस तरह शिया मुनाज़ीरकी आगरा आने से पहले धाक बैठ जायगी!!!

शिया मुनाज़ीर सीधा मियाँ मीर साहबके पास पहुँचा आप इश्राककी नमाज़से अभी फ़ारिग़ ही हुए थे, जैसे ही वो दरवाज़ेमें से दाख़िल हुआ आपने फ़रमाया "ये शख़्स जो इस तरफ़ चला आ रहा है उसका दिल सियाह यानी काला है"

कुछ गुफ़्तगू के बाद हज़रतने दरयाफ़्त फ़रमाया क्या काम करते हो ? शिया मुनाज़ीर बोला के में ईरानसे आया हूँ और शान ए अहल ए बैत बयान करता हूँ।

मियाँ मीर साहबने फ़रमाया अहल ए बैतकी शान बयान करो ताकि सुन्नीका ईमान बढ़े!!!

शिया मुनाज़ीर बोलाकी इमाम हुसेन रदी. की ये शान है की कोई गुनहगार शख़्स आप रदी.की क़ब्रके 40 मिल के इर्दगिर्द दफ़न हो जाए तो वो शख़्स बख़्श दिया दिया जाता है!!!

मियाँ मीर साहबने बार बार फ़रमाया फिर सुना!!! फिर सुना!!! और उसके बाद पूछा की इमाम हूसेन ‎रदी. को ये मक़ाम कैसे मिला ? तो शिया मुनाज़ीर बोला की आप रदी. तो नवासा ए रसूल ‎ﷺ थे इस वजह से ये मक़ाम मिला!!!
तो मियाँ मीर साहबने फ़रमाया के जब नवासेकी ये शान है तो ख़ुद आप ‎ﷺ की क्या अज़ीम शान होगी ? वो बोला बेशक बड़ी शान है!!! बस यहीं पर मियाँ मीर साहबने सवाल किया के फिर आप ‎ﷺ के बिलकुल साथमे उनके हुज़रे में सोए हुए हैं क्या वो बख्शे नहीं जाएँगे ❓

शिया मुनाज़ीर हक्का बक्का रह गया और आगरा जाने के बजाय ईरान चला गया और कह कर गया के जहाँके सूफ़ी बुज़ुर्ग ऐसा इल्म रखते हैं तो यहाँके ऊलेमा का क्या मक़ाम होगा और ये ऐसा सवाल किया गया जिसका जवाब क़यामत तक कोई शिया नहीं दे सकता!!!

बहोत बहोत गुज़ारिश इस पोस्ट को शेर करने की और फ़िरक़ा ए बातिला का रद्द कर कि सवाब हासिल करें!!!

तरजुमा 
यूसुफ़ सिद्दिक वापी
१८/१/१८

No comments: